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Sunday, January 4, 2009

This poem is Dedicated to Dhara!!

जब भी वायरस अटैक होता है
तब मेरा एंटी-वायरस है धारा!

जब भी मेरा दिल को कोई चाहता है
मेरा दिल बोलता है धारा

सुबह उठके, भगवान का प्रार्थना होने के बाद,
धारा का प्रार्थना करुँगी की;
वो मेरी ज़िन्दगी में और हमेश हमेश केलिए;
साथ सफर निभाने और पूरी करने में
वो मेरी साथ देगी धारा!!

जब मुझे सास लेने का तकलीफ होता है
तब मेरा Oxygen है धारा!
क्यूंकि उसका मुस्कुरावत ख़ूबसूरत चेहरा देखते ही,
दरके भाग्जाथा है Ventilator!!

4 comments:

shastri007 said...

Kya poem hai re!! nice ha

Creativity said...

Thanks a Lot!!

Anonymous said...

hahhhahahah... cute one!

Creativity said...

hmm...thanks..very funny poem..my classmates were surprised to listen to this poem :).....